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आप की रहम नज़र

मै जिस दिन भी आपसे लड़ने के मूड में होता हूँ। पता नहीं वो दिन कुछ ज्यादा ही बुरा जाता है। कल तो हद हो गई । ये सच है की मीडिया में या फिल्म में शोषण का चलन, प्रचलन नहीं बल्कि बदचलन है। अपने पांच साल के फ़िल्मी जीवन में कभी भी पैसे के लिए गाली या लड़ाई का सहारा नहीं लिया। पर कल एक छोटी- मोटी कंपनी के साथ बहस बाजी हो गई। बिनोद महाजन नाम का ये आदमी मुझे ६ महीने से काम करने के बाद भी पैसे नहीं दे रहा था। कल मैंने अपने एक दोस्त को बताई की बिनोद महाजन नाम का इस आदमी को पता नहीं काम कराके पैसे ना देने की आदत है या मुझसे भी ज्यादा गरीब हो गया है। मैंने कहाकी पैसे दे दो। तो बहस बाजी के बाद उसने कहा की पैसे नहीं दूंगा। तो मैंने भी सोचा और उसे कहा की जाओ आपके बेटी की शादी के पैसे में मेरी तरफ से ये पैसे जोड़ लो। खैरात समझ कर रख लो... तुम्हे भी पता चले की किस रईस बिहारी से पाला पड़ा है। इस काम में यति दुआ नाम का आदमी भी था जिसने काम दिलवाया था, बदले में उसे कमीशन देना था। पर वो तो बाद में सीधा मुकर गया। वो भी मीडिया का ही आदमी है। अब ऐसे लोगो के साथ तो काम करना गुनाह है। मुझे दुःख इस बात का नहीं
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आप के कारण उठा दर्द

नृत्य और अभिनय तो मेंरे जीवन के अंग है। पर इन अंग में आप एक अभिन्न अंग है। कुछ दिन पहले जब झारखण्ड में मई डांस करने के लिए गया था, तो मै आपको बहुत ही यद् करने लगा। कारण जब मेक अप की बारी आयी तो सरे लडको को उसकी लडकी दोस्त मेक अप कर दी । मेरी कोई तो वहाँ कोई थी नहीं इसलिए मै बहुत उदास हो गया। जब तक मै आपके प्यार के गिरफ्त में नहीं था तो कोई फर्क नहीं पड़ता था। पर आपसे इश्क होने के बाद मै बहुत ही परेशान हो जाता हूँ। .........अब आप ही बताओ इस तरह से याद आना , फिर मुझे रुआंसा करना, क्या आप अच्छा मानती हो। अब इस तरह से मत तडपाओ , मत सताओ, बहुत याद आती हो, हर कदम पर , हर काम में, हर समय यूँ याद आना और सिर्फ याद आना ,,,कब तक मै झेल सकता हूँ... ,...................भारत सरकार के गीत और नाटक प्रभार के इस प्रोग्राम में धन्यवाद करता हूँ... महिमा का जिसने मेरा मन लगा दिया....धन्यवाद तुषार, जीतेन्द्र, अजीत रागी का जिसके वजह से आपकी याद से काम हताश हुआ और प्रोग्राम कर दिया... महिमा ने ही मेरा मेक अप किया था.... आप कब आओगे। मुझे आपका बेसब्री से इंतजार है। आप को तो मै बोल कर कह नहीं पता हूँ...इसलिए अप

घर बनाऊंगा आपके लिए

रे हयात्त '''हयात्त !!!!!!!वो हयात्त .....औकात से ज्यादा का सवाल पूछ रहा हूँ ,,,,...आप ये बताओ आपको किस तरह का घर पसन्द है ? आप लिख कर जरुर बताना । लेकिन जो मैंने सोचा है वो बताऊँ । हसो मत ..अंह उन ...मै नही बोलूँगा॥ आप हस रही हो ;; एक ऐसा घर जिसमे सारा संसार का खुशी समेट कर रखा हो , जिसको दुःख हो उसे हमारे घर में आते ही हंसी मिल जाए। जिंदगी से बोर हो रहा हो तो उसमे जीने की आश जग जाए।

कर्म और भाग्य

हयात्त सो गई !!!!!!!!!!!! जग रही हो !!!!!!!एक बात मेरे समझ में नही आता है की लोग कहते है भाग्य के आगे किसी की नही चलती क्या ये सही है। अगर आप कल मुझे नही मिलती तो इसे मै क्या मानूं। भाग्य या अपनी नकाबयामी । क्योकि मै तो ज्यादा पढ़ा नही हूँ, आज पैसे भी नही है , न तो जात है मतलब मिलने के कोई आसार नही है , तो ये भाग्य है या मेरा कर्म । मुझे लगता है अगर कर्म होता तो मै बहुत पढ़ा लिखा होता । मेहनत कर के बहुत सारा धन और दौलत कमाता । तो मुझे लगता है की कर्म ज्यादा अहमियत है । परन्तु कुछ लोगो को देखा तो सब कुछ होते हुए भी ये अपना प्यार नही मिलता। ये उसका भाग्य था!!। कारण जो भी हो भाग्य या कर्म सब कुछ वक्त के हिसाब से बदलता है। मान लो जिस वजह से आप मुझे छोडोगी वही वजह वहां आपका इंतजार कर रहा हो , जिस खुशी और इज्ज़त के लिए आप मुझे छोडोगी इसकी क्या गारंटी है की वो आपको वह हमेशा मिले !!!!!!!!तो क्या ये आपका भाग्य होगा ??????या फ़िर आपकी गलती यानी कर्म । खैर जो भी मै आपको चाहता हूँ ,,,आपको खुस देखना चाहता हूँ इसलिए आपको जो भी अच्छा लगे कर लेना । मै मुकेश जी के गए गाना को गाता रहूँगा ........जब
जय माता दी ॥ आज सुबह जब नींद से उठा तो आपकी यादों ने फ़िर से मुझे रुला दिया। लेकिन क्या करूँ , मै दौड़ कर आपसे मिलने भी नही आ सकता । इसलिए अब चिट्ठी का सहारा ले रहा हूँ आप तक अपनी बात पहुचने के लिए। मेंने आप से वादा किया था की इज़हार करूँगा तो सारा संसार सुनेगा । तो आज आपको बोलूँगा सारा संसार सुने या न सुने लेकिन पढेगा जरुर ॥ पहले कुछ कम की बातें कर लेते है फिर तो आपका और हमारा ही मामला रहेगा तो बात तो होती ही रहेगी। थोड़ा सन्नाटा हो जाये, लोग कम हो जाये ताकि इजहारेमुहब्बत में कोई रूकावट न हो। आज कल कम नहीं है तो तनाव आ जाना स्वाभाविक है परन्तु आपकी याद काफी है अपने को अकेलेपन से बचाने के लिये । जब भी भविष्य के अँधेरे में देखता हूँ तो सोचता हूँ अगर यही हाल रहा तो हमारी जिंदगी कैसे चलेगी