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जय माता दी ॥

आज सुबह जब नींद से उठा तो आपकी यादों ने फ़िर से मुझे रुला दिया। लेकिन क्या करूँ , मै दौड़ कर आपसे मिलने भी नही आ सकता । इसलिए अब चिट्ठी का सहारा ले रहा हूँ आप तक अपनी बात पहुचने के लिए।

मेंने आप से वादा किया था की इज़हार करूँगा तो सारा संसार सुनेगा । तो आज आपको बोलूँगा सारा संसार सुने या न सुने लेकिन पढेगा जरुर ॥ पहले कुछ कम की बातें कर लेते है फिर तो आपका और हमारा ही मामला रहेगा तो बात तो होती ही रहेगी। थोड़ा सन्नाटा हो जाये, लोग कम हो जाये ताकि इजहारेमुहब्बत में कोई रूकावट न हो।
आज कल कम नहीं है तो तनाव आ जाना स्वाभाविक है परन्तु आपकी याद काफी है अपने को अकेलेपन से बचाने के लिये । जब भी भविष्य के अँधेरे में देखता हूँ तो सोचता हूँ अगर यही हाल रहा तो हमारी जिंदगी कैसे चलेगी


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